क्षणिकाएं – १८

 

क्षणिकाएं – १८

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हाथ थाम के दामन तुम छुड़ाओ
हमारे हो चुके हो, मान भी जाओ।।

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सबने देखा मुस्कुराता चेहरा
किसी ने घायल मन के अंदर देखा
उसने भी कह दिया खुश हूं मैं
और सबने आंखों में झांकता समंदर ना देखा।।

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हाथों में लेके हाथ खुशबू बिखेरते हैं
इत्र का कारोबार इश्क़ के शहर में करते है
आओ साथ चलें जिंदगी के सफ़र में
जीवन को गुलज़ार करते हैं।।

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एक अजब जादुई वो भी घड़ी थी
जब पहली बार उस पर नज़र पड़ी थी
वो देख कर मुस्कुराई थी, बाहें पसारे
मेरी बाहों में मेरी बेटी अंगड़ाई ले रही थी।।

आभारनवीन पहल – ०३.०९.२०२२  🌹🙏🎉💐

# नॉन स्टॉप 2022 

 

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6 Comments

Achha likha hai 💐🙏

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Seema Priyadarshini sahay

04-Sep-2022 09:20 PM

बहुत खूबसूरत

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Teena yadav

04-Sep-2022 08:50 PM

Amazing

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